मनुष्य भी किसी अन्य जीव की तरह ही जन्म लेता है,जीवन यापन करता है और फिर मर जाता है | सभी जीवों में बुद्धि का विकास इतना नहीं है जितना मनुष्यों में है, वो सोच सकता है, अपना अस्तित्व जानता है और नेतृत्व भी कर सकता है |
पर क्या आपने कभी सोचा है कि मनुष्यों में ही इतना विकास क्यों है? जीवन का सही अर्थ क्या है? आखिर मनुष्यों के इस विकासशील जीवन का उद्देश्य क्या है? या मनुष्यों ने धरती पर यह जीवन क्यों प्राप्त किया है? अंत में किसी मनुष्य के बाद उसकी दौलत,सेहत सब ख़त्म हो जाता है तो उसे इस जीवन से आखिर क्या प्राप्त होता है ?
आदत से सम्बन्ध नहीं बनते,स्वाभाव से बनते हैं | व्यवहार और स्वाभाव से ही यह मनुष्य जीवन चलता है |
अगर आपके और कुछ भी सवाल हों तो हमे कमेंट कर के अवश्य बताएं |
पर क्या आपने कभी सोचा है कि मनुष्यों में ही इतना विकास क्यों है? जीवन का सही अर्थ क्या है? आखिर मनुष्यों के इस विकासशील जीवन का उद्देश्य क्या है? या मनुष्यों ने धरती पर यह जीवन क्यों प्राप्त किया है? अंत में किसी मनुष्य के बाद उसकी दौलत,सेहत सब ख़त्म हो जाता है तो उसे इस जीवन से आखिर क्या प्राप्त होता है ?
ये प्रश्न सभी मनुष्य एक ना एक बार अवश्य सोचता है पर सटीक उत्तर कभी प्राप्त नहीं कर पाता है इसलिए हमनें इस लेख में इन्हीं कुछ प्रश्नों को मद्देनज़र रखते हुए कुछ विशेष तर्क दिए हैं जिन के माध्यम से आप इन्हीं कुछ प्रश्नों के उत्तर पा सकते हैं |
मनुष्य जीवन के यह कुछ मुख्य उद्देश्य हैं-
1-अधिकतम विकास
धरती पर अब तक जितने भी मनुष्य हुए हैं उनमें से आज सिर्फ उन्हीं को याद किया जाता है जो हमेशा मनुष्य जाती के विकास की ओर अग्रसर रहे हैं, जिन्होंने खुद विकासशील रह कर मनुष्यों का उद्धार किया है जिस से उनके बाद भी आज उन्हें याद किया जाता है |
सिर्फ खुद के लिए धन,संपदा,अनाज इक्खट्टा करने वाला व्यक्ति हमेशा इन्हीं चीज़ों के संचय में लगा रहता है और अंत में कोई छाप नहीं छोड़ जाता है और उसे अंत में निराशा ही प्राप्त होती है परन्तु जो खुद के साथ-साथ समस्त जीवों के उद्धार में लगा रहता है वह जीवन से अवश्य संतुष्ट होता है |
उदाहरण-मान लें कि आप भारत की राजधानी दिल्ली में रहते हैं तो क्या आप जानते हैं कि आप के दादाजी के समय में शहर के सबसे धनि व्यक्ति कौन थे,अगर जानते भी हैं तो क्या आपको लगता है कि आपकी आने वाली पीढ़ी को भी यह पता होगा ?
पर अगर बात करें स्वामी विवेकानंद जी की या रत्न टाटा की या डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की या फिर देश के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की, तो आप भी इन्हें जानते हैं और आपकी आगे आने वाली पीढ़ी भी इन्हें याद रखेंगी क्यूंकि इन्हीं लोगों ने देश को एक अलग मुकाम हासिल कराया है, इन्ही लोगों से हम कुछ सीख सकते हैं |
याद रखें हम उन्हीं को याद रखते हैं जिन्होंने हमारे जीवन पर एक अलग ही प्रभाव डाला हो |
2-आत्मसाक्षात्कार यानी खुद को जानना
अगर व्यक्ति खुद के बारे में ही नहीं जानता है तो वह दूसरों पर कैसे प्रभाव डाल सकता है, इसलिए जीवन का अगला मूल उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार है | जीवन का मूल लक्ष्य है कि हम स्वयं को जानें, स्वयं का अनुभव करें और हमारा जीवन वास्तविकता को प्राप्त हो, हम स्वयं के भीतर वास कर रहे ईश्वर को पहचानें |
आत्मसाक्षात्कार क्या होता है ?
आत्मसाक्षात्कार यानी वास्तव में अपने असली स्वरुप को जानना,अपने शरीर में जीवन का अपनी वास्तविकता को प्राप्त होना |
बिना स्वयं को जानें आप जीवन का उद्देश्य प्राप्त नहीं कर सकते, जीवन का अर्थ ही स्वयं के आस्तित्व को जानना होता है |
अतः आत्मसाक्षात्कार भी मनुष्य जीवन का अहम उद्देश्य है | मनुष्यों को यह सोचने की क्षमता इसीलिए प्राप्त है ताकि वह खुद को जान सके और औरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर सके |
3-स्वास्थ्य और आध्यात्म
अगर आप का शरीर और मन स्वस्थ्य नहीं है तो इस जीवन का मतलब ही क्या है, जीवन में योग और व्यायाम बहुत जरुरी है जिस से शरीर स्वस्थ्य रह सके साथ ही साथ अध्यात्म से जुड़ाव यानी भक्ति भी जरुरी है ताकि मन किसी भी विषम परिस्तिथि में भी शांत रह सके |
अतः स्वास्थ्य रहना और अध्यात्म की ओर झुकाव रखना भी मनुष्यों का मूल उद्देश्य होता है |
4-अन्य जीव-जंतुओं की सहायता
मनुष्य के पास विकासशील दिमाग है इसका मतलब यह नहीं है कि वह और जीवों पर अत्याचार करे, बल्कि उसे तो बाकि जीवों की सहायता करनी चाहिए जिस से सारे जीव जो सहायता के पात्र हैं उनकी सहायता हो सके ताकि वह भी धरती पर अच्छे से जीवन यापन कर सकें |
अतः यह मनुष्य जीवन का उद्देश्य ही नहीं है बल्कि उनकी जिम्मेदारी भी है कि वह बाकि जीवों की सहायता करे |
सबसे मुख्य व असल उद्देश्य
मनुष्यों का शरीर पांच महत्वपूर्ण तत्वों(पंचतत्व) से मिलकर बना होता है- वायु तत्व, अग्नि तत्व, जल तत्व, धरती तत्व, और आकाश तत्व | मतलब शरीर पृथ्वी के ही अंशों से बना है, हर मनुष्य पर पृथ्वी माँ का क़र्ज़ है तो अब मनुष्यों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह इस क़र्ज़ को सूत समेत वापस लौटाए, परन्तु कैसे ?
पृथ्वी माँ का क़र्ज़ तो कोई उतार ही नहीं सकता है पर पेड़-पौधे लगाकर इस क़र्ज़ की ब्याज ज़रूर दे सकता है, तो मेरी आप सभी से विनती है कि अपने हर जन्मदिन पर एक पेड़ ज़रूर लगाएं और उसका भरण-पोषण भी करें | आप और हम धरती से अन्न,जल,वायु,एनर्जी ले रहे हैं तो हमारा यह फ़र्ज़ बनता है कि हम अपने जीवन से कुछ तो योगदान दें, और सबसे आसान और बढ़िया योगदान हम पेड़ लगाकर कर सकते हैं |
पेड़ लगाएं ! जीवन बचाएँ !
जीवन का असल उद्देश्य क्या होता है-मेरे विचार
मेरे अनुसार मनुष्य जीवन का असल उद्देश्य आत्मिक ज्ञान एवं आत्मसाक्षात्कार प्राप्त करना है और धरती के पशु-पक्षी-प्राणी की सहायता करना है | जीवन तभी सफल होता है जब हम खुद के अलावा औरों के लिए भी सेवा भाव से कुछ करें और वो भी बिना किसी स्वार्थ के |जीवन के बारे में कुछ सवाल-जवाब
जीवन का सही अर्थ क्या है ?
जीवन को तो वैसे आज तक कोई सही-सही परिभाषित नहीं कर पाया है,पर कुछ ग्रंथों के अनुसार जन्म और मरण के बीच के समय को ही जीवन कहते हैं | जीवन का सही उद्देश्य आत्मसाक्षात्कार ही है यानी खुद के भीतर छिपे ईश्वर को पहचानना और सभी की निस्वार्थ सेवा करना |जीवन प्रबंधन क्या है ?
जीवन प्रबंधन का आधार है-स्वाभाव और सर्वस्वीकृत व्यवहार | सही जीवन प्रबंधन यानी जीवन के हर एक क्षण को जीना एवं महसूस करना,हर पल सुख-शांति और ख़ुशी से जीना |आदत से सम्बन्ध नहीं बनते,स्वाभाव से बनते हैं | व्यवहार और स्वाभाव से ही यह मनुष्य जीवन चलता है |
जीवन में आत्मसाक्षात्कार कैसे प्राप्त करें ?
आत्मसाक्षात्कार नियमित साधना और अभ्यास से ही प्राप्त हो सकता है | आत्मसाक्षात्कार किसी संत या गुरु की शरण में ही प्राप्त कर सकते हैं चाहें वे वास्तविक गुरु या संत ही क्यों ना हों |अगर आपके और कुछ भी सवाल हों तो हमे कमेंट कर के अवश्य बताएं |
Maja aa gaya
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